इंतजार के दिन बड़ी मुश्किल के होते हैं, पर बड़े मजेदार भी होते हैं- इन्तजार चाहे महबूबा का हो, चाहे इम्तहान के नतीजे का, चाहे नौकरी पर नियुक्ति का; कल्पना को पर लग जाते हैं और वह आदमी को कैसे-कैसे सब्जबागों की सैर कराती हैं।
इंतजार के दिन बड़ी मुश्किल के होते हैं, पर बड़े मजेदार भी होते हैं- इन्तजार चाहे महबूबा का हो, चाहे इम्तहान के नतीजे का, चाहे नौकरी पर नियुक्ति का; कल्पना को पर लग जाते हैं और वह आदमी को कैसे-कैसे सब्जबागों की सैर कराती हैं।