स्वप्न देखना कितना सहज-सुखद होता है, पर उसे साकार करने में कितना पित्ता-पानी एक करना पड़ता है।

  स्वप्न देखना कितना सहज-सुखद होता है, पर उसे साकार करने में कितना पित्ता-पानी एक करना पड़ता है।


    हर नए सार्थक आन्दोलन को क्रमानुसार तीन तरह की प्रतिक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। पहले लोग उसका मजाक उड़ाते हैं, फिर लोग उसका विरोध करते हैं और अन्त में उसे स्वीकार कर लेते हैं।


  गुलामी बहुत बड़ा अभिशाप है, मानसिक गुलामी उससे बड़ा। लड़कपन में जिसे अपने माता-पिता का वात्सल्य नहीं मिलता, वह उसका प्रतिरूप जीवन-भर खोजता रहता हैजीवन में हम जिन चीजों को पाने की कामना करते हैं, जितना सुख-सपना देखते हैं, जिन्हें साकार करने की सौ मुसीबतें उठाते हैं जब वह संयोगवशात मिल जाती हैं तो उनके मिलने का सुख कितना क्षणस्थाई होता है! मिलने के साथ ही मिलने का सुख समाप्त हो जाता है।


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गरीबों तबके लोगो की हालत देखकर सूर्यवंशी फाउंडेशन के अलावा क्षेत्रीय संस्था क्षेत्र के लोगों को सपोर्ट करती नजर आ रही हैं सामाजिक उत्थान के क्षेत्र में कई वर्षों से कार्य कर रही है। इस मुशिकल समय में सूर्यवंशी फाउण्डेशन दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में महामारी व आर्थिक तंगी जूझ रहे लोगों की मदद कर रही है। फाउण्डेशन ने करावल नगर, शिव विहार मंगोलपुरी व संतनगर, बुराड़ी व अशोक नगर, भजनपुरा, खजूरी, सोनिया विहार में खाने-पीने का सामान घर घर मुहैया करा रही है । जिसमें संस्था के संस्थापक ऋषिपाल के आलवा श्री ओमप्रकाश पिण्डौरा, कालीचरन नेता जी सुभाष , उदयवीर सिंह, राजेश तौमर, श्री हरी सिंह चैहान, पुरुषोत्तम, नरेश,ओमप्रकाश राणा, रविन्द्र सूर्यप्रताप सिंह, रमेश सूर्यवंशी, बिजेन्द्र सिंह, क्षत्रपाल सिंह, डाॅ. नवीन सूर्या आदि ने लोगों मदद की और लोगों को इस मुश्किल की घड़ी में राशन के तौर पर आटा, चावल, दाल आन्य सामान आदि प्रदान की और सूर्यवंशी फाउण्डेशन के पदाधिकारी कोविड-19 के संबंध में जागरूकता अभियान चला रहे हैं। इस महामारी व देशबंदी के दौर में संस्था सरकार व लोगों के साथ मिलकर कार्य करेगी और सभी समाजिक संस्थाओं को देश में लोगों की मदद करने के लिए आगे आकर राहत कार्य करना चाहिए
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